Asar Ki Namaz Ki Niyat: असर की नमाज़ की नियत हिंदी व अरबी में

नमाज़ हर मुसलमान पर फर्ज़ इबादत है और पाँच वक्त की नमाज़ों में असर की नमाज़ का भी खास मुकाम है। बहुत से लोग असर की नमाज़ पढ़ते समय नियत के लफ़्ज़ भूल जाते हैं या उन्हें सही तरीक़ा समझ में नहीं आता।

अगर आप भी ऐसा महसूस करते हैं, तो अब टेंशन छोड़ दें! इस आर्टिकल में हम आपको असर की नमाज़ की हिंदी और अरबी दोनों में नियत, उसका सही तरीका और कुछ अहम बातें आसान अंदाज़ में बताएंगे।


Asar Ki Namaz Ki Niyat

असर की नमाज़ में कुल 8 रकात होती हैं –

  • 4 रकात सुन्नत
  • 4 रकात फर्ज़

इसलिए असर की नमाज़ की नियत दो बार करनी होती है:

  1. सबसे पहले 4 रकात सुन्नत की
  2. फिर 4 रकात फर्ज़ की

नीचे दोनों की नियत हिंदी और अरबी में दी गई है।


असर की 4 रकात सुन्नत की नियत

हिंदी में नियत:

नियत की मैंने 4 रकाअत नमाज़ असर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ — अल्लाहु अकबर।

अरबी में नियत:

نَوَيْتُ أَنْ أُصَلِّيَ لِلّٰهِ تَعَالٰى أَرْبَعَ رَكَعَاتِ صَلَاةِ الْعَصْرِ سُنَّةِ رَسُولِ اللّٰهِ مُتَوَجِّهًا إِلَى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيفَةِ اَللّٰهُ أَكْبَرُ


असर की 4 रकात फर्ज़ की नियत

हिंदी में नियत:

नियत की मैंने 4 रकाअत नमाज़ असर की फर्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ — अल्लाहु अकबर।

अरबी में नियत:

نَوَيْتُ أَنْ أُصَلِّيَ لِلّٰهِ تَعَالٰى أَرْبَعَ رَكَعَاتِ صَلَاةِ الْعَصْرِ فَرْضَ اللّٰهِ مُتَوَجِّهًا إِلَى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيفَةِ اَللّٰهُ أَكْبَرُ


Asar Ki Namaz Ki Niyat Kaise Kare

नियत सिर्फ ज़बान से पढ़ना ही नहीं, दिल में पक्का इरादा होना भी ज़रूरी है कि आप यह नमाज़ सिर्फ़ अल्लाह की रज़ा के लिए अदा कर रहे हैं।

  1. नियत के लफ़्ज़ ठीक से पढ़ें।
  2. नियत के बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए हाथ उठाएं।
  3. औरतें: हाथों को कंधे तक उठाकर सीने पर बाँधें।
  4. मर्द: हाथों को कान तक उठाएं, कान की लौ को छूकर नाफ के नीचे बाँधें।
  5. बांधने का तरीका: नीचे बायाँ हाथ रखें, उसके ऊपर दायाँ हाथ रखें।
  6. तीन उंगलियाँ ऊपर रहें और दो उंगलियों से पकड़ लें।

अगर जमात के साथ नमाज़ पढ़ रहे हों

  • हिंदी नियत में “वास्ते अल्लाह तआला के” के बाद “पीछे इस इमाम के” जोड़ें।
  • अरबी नियत में “اقتديتُ بهذا الإمام” का इज़ाफ़ा करें, फिर मुतवाजिहन इल्ला जिहातिल काबा कहें।
  • अगर किसी वजह से ज़बान से नियत न हो पाए, तो दिल में नियत कर लेना भी काफी है। यह शरई तौर पर जायज़ है।

आखिरी बात

अब तक आपने असर की नमाज़ की नियत अरबी और हिंदी दोनों ज़बानों में और नियत करने का सही तरीका जान लिया है। अब नमाज़ से पहले बस कुछ सेकंड निकालकर इन लफ़्ज़ों को दोहरा लें।

इसे आपका असर की नमाज़ बेहतरीन तरीके से अदा होगी। अगर कोई लफ़्ज़ समझ में न आए या कोई गलती नज़र आए, तो नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताएं।

और हाँ… इस नेक इल्म को अपने दोस्तों और घरवालों तक भी पहुँचाएं ताकि आप सबको सवाब मिले। अल्लाह तआला हम सभी को नमाज़ों की पाबंदी और सही तरीके से अदा करने की तौफ़ीक़ दे – आमीन।