Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika | सलातुल हाजत की नमाज़ कैसे पढ़ें?

अगर आप जानना चाहते हैं कि Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika क्या है और इसे कब पढ़ना चाहिए, तो यह सुन्नत भरा पैगाम आपके लिए है।

यहां हम आपको 2 रकात और 4 रकात सलातुल हाजत की नमाज़ का आसान तरीका बताएंगे, साथ ही सलातुल हाजत की नीयत और पढ़ने का सही वक्त भी समझाएंगे।


सलातुल हाजत की नमाज़ क्या है?

सलातुल हाजत एक नफ्ल नमाज़ है जिसे मुसलमान अपनी किसी भी हाजत, दुआ या ख्वाहिश को पूरा करवाने के लिए इस नमाज़ को पढ़ कर अल्लाह तआला से दुआ मांगते हैं।

यह नमाज़ इंसान को अल्लाह के करीब करती है और दुआ कबूल होने का ज़रिया बनती है। यही वजह है की लोगों का कोई बड़ा ख्वाहिश होता है तो पहले इसे पढ़ते हैं फिर दुआ करते हैं।


सलातुल हाजत कितनी रकात की होती है?

सलातुल हाजत की नमाज़ दो तरीकों से पढ़ी जाती है:

  • 4 रकात सलातुल हाजत की नमाज़
  • 2 रकात सलातुल हाजत की नमाज़

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika

पहली रकात:

  • नियत करके हाथ बांधें।
  • सना, अऊज़ुबिल्लाह, बिस्मिल्लाह पढ़ें।
  • सूरह फातिहा और फिर 3 बार आयतुल कुर्सी पढ़ें।
  • रुकू और सज्दा करें, जैसा सभी नमाज़ में होता है।

दूसरी रकात:

  • सूरह फातिहा पढ़ें।
  • उसके बाद सूरह इख्लास पढ़ें।
  • रुकू और सज्दा करें।
  • अंत में अत्तहिय्यात पढ़ें और उंगली से इशारा करें।

तीसरी रकात:

  • सूरह फातिहा के बाद सूरह फलक पढ़ें।
  • रुकू और सज्दा करें।

चौथी रकात:

  • सूरह फातिहा के बाद सूरह नास पढ़ें।
  • रुकू और सज्दा करने के बाद बैठें।
  • अत्तहिय्यात, दुरूद ए इब्राहीम और दुआए मासूरह पढ़ें।
  • फिर दोनों तरफ सलाम फेरें।

इस तरह आपकी 4 रकात सलातुल हाजत की नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी।


2 रकात सलातुल हाजत की नमाज़ का तरीका

  • पहली रकात: सूरह फातिहा के बाद 3 बार आयतुल कुर्सी पढ़ें।
  • दूसरी रकात: सूरह फातिहा के बाद सूरह बकरा की आमनर्रसूलु से लेकर काफिरिन तक पढ़ें।
  • बाकी तरीका सभी नमाज़ जैसा ही रहेगा।

Salatul Hajat Ki Niyat

नियत की मैंने 4 रकात नमाज़े हाजत की नफ्ल अल्लाह तआला के वास्ते, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।

अगर 2 रकात पढ़ रहे हैं तो 2 रकात की जगह पर ४ रकात बोलें जैसे: नियत की मैंने 2 रकात नमाज़े हाजत की नफ्ल…


सलातुल हाजत का वक्त

  • सलातुल हाजत की नमाज़ का कोई फिक्स टाइम नहीं है।
  • यह कभी भी पढ़ी जा सकती है सिर्फ मकरूह वक्त को छोड़कर।
  • लेकिन सबसे बेहतर वक्त ईशा की नमाज़ के बाद है।

सलातुल हाजत की नमाज़ के फायदे

  • अल्लाह से हाजत पूरी करवाने का ज़रिया।
  • गुनाहों की माफी।
  • दिल को सुकून और अल्लाह के करीब होने का एहसास।
  • मुश्किलात से निजात।

अंतिम हिदायतें

अब आपको सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने का पूरा तरीका पता चल गया है। इसे अमल में लाएं, इंशाअल्लाह आपकी दुआएं कबूल होंगी।

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अगर किसी जगह पर आपको कुछ गलत या अधूरा लगे तो हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं ताकि हम उसे सुधार सकें। अल्लाह आपको इसका अज्र देगा।