कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी फैसले को लेकर बेचैन हो गए हों? शादी का मामला हो, कारोबार का, या कोई ऐसी उलझन जो दिल और दिमाग को चैन न लेने दे।
ऐसे वक्त में इंसान सोचता है किससे मशवरा किया जाए, किस पर भरोसा किया जाए। लेकिन हकीकत ये है कि सबसे बड़ा मशवरा देने वाला सिर्फ हमारा रब है। इसी लिए इस्लाम ने हमें एक खूबसूरत तोहफ़ा दिया है: नमाज़-ए-इस्तिखारा।
इस्तिखारा का मतलब है अल्लाह से रहनुमाई मांगना, उससे कहना या अल्लाह जो मेरे लिए बेहतर है वही आसान कर दे। इसीलिए इस आर्टिकल में आप Istikhara Ki Namaz Ka Tarika स्टेप-बाय-स्टेप जानेंगे।
Istikhara Ki Namaz Ka Tarika
इस्तिखारा की नमाज़ एक नफ़्ल नमाज़ है, जिसे अल्लाह तआला से रहनुमाई और सही रास्ते की दुआ के लिए पढ़ा जाता है, इस नमाज़ को 2 रकात कि नियत करके अदा की जाती है।
✨ पहली रकात का तरीका
- सबसे पहले इस्तिखारा की नमाज़ की नीयत करें।
- हाँथ बांधने के बाद सना सुब्हानक अल्लाहुम्मा… पढ़ें।
- फिर अऊज़ु बिल्लाह मिनश्शैतानिर्रजीम पढ़ें।
- और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
- सूरह फातिहा पूरी पढ़ें और आखिर में आमीन कहें।
- सूरह काफ़िरून या कोई भी सूरह पढ़ें और रुकू करें।
- रुकू में जाकर सुब्हान रब्बियल अज़ीम 3, 5 या 7 बार पढ़ें।
- रुकू से उठते वक्त समीअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लक़ल हम्द कहें।
- अल्लाहु अकबर कहकर सज्दा करें और 3 बार सुब्हान रब्बियाल अ’ला पढ़ें।
- उठकर बैठें, फिर दूसरा सज्दा करें।
- अब अल्लाहु अकबर कह कर दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
✨ दूसरी रकात का तरीका
- पहले अऊज़ु बिल्लाह… और बिस्मिल्लाह…पढ़ें।
- सूरह फातिहा पढ़ें और आमीन कहें।
- कोई भी सूरह पढ़ें बेहतर है सूरह इख़लास।
- रुकू में जाएं और 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- उठते हुए समीअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लक़ल हम्द कहें।
- सज्दे में जाएं और 3 बार सुब्हान रब्बियाल अ’ला पढ़ें।
- इसी तरह दूसरा सज्दा भी करें।
- अब बैठकर अत्तहियात पढ़ें और उंगली कलिमे ला पर उठाएं।
- इसके बाद दुरूदे इब्राहीम और दुआ-ए-मसूरा पढ़ें।
- अब दाईं तरफ अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह और फिर बाईं तरफ सलाम फेरें।
इस तरह 2 रकात इस्तिखारा की नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी। इसी तरह चाहें तो 2-2 रकात करके 4, 6, 8 या 12 रकात नमाज़ भी पढ़ सकते हैं।
इस्तिखारा की नमाज़ पूरी करने के बाद 3 बार दरूद शरीफ पढ़ें, सूरह फातिहा पढ़ें, इस्तिखारा की दुआ पढ़ें फिर दोबारा सूरह फातिहा और दरूद शरीफ पढ़ें
इस्तिखारा की नमाज़ की नीयत
नियत की मैंने 2 रकात नमाज़-ए-इस्तिखारा की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
इस्तिखारा की नमाज़ का सही का वक्त
बहुत लोग पूछते हैं कि इस्तिखारा की नमाज़ कब पढ़ना चाहिए? इसका जवाब है इस्तिखारा की नमाज़ कभी भी पढ़ सकते हैं, बस मकरूह वक्तों को छोड़कर।
सबसे बेहतर और हकीकत वक्त है ईशा की नमाज़ के बाद। इस वक्त इस्तिखारा करने से दिल को सुकून और फैसला लेने में आसानी होती है।
FAQs
नमाज़ ए इस्तिखारा कब पढ़ना चाहिए?
इस्तिखारा की नमाज़ ईशा के बाद पढ़ना सबसे बेहतर है।
इस्तिखारा का मतलब क्या है?
इस्तिखारा का मतलब है – अल्लाह से भलाई और सही रास्ता मांगना।
इस्तिखारा की नमाज़ कितनी रकात की होती है?
यह 2 रकात नफ़्ल नमाज़ होती है।
क्या इस्तिखारा दिन में भी पढ़ सकते हैं?
जी हाँ, दिन में भी पढ़ सकते हैं, बस मकरूह वक्त में न पढ़ें।
अंतिम हिदायतें
अब आपने जान लिया कि इस्तिखारा की नमाज़ क्या है और इसे कब और कैसे अदा किया जाता है। इन सभी बातों को भी आपने साफ़ और आसान लफ़्ज़ों में पढ़ा ।
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