कभी-कभी इंसान की ग़फ़लत या मजबूरी की वजह से नमाज़ छूट जाती है। लेकिन अल्लाह तआला का फ़ज़ल है कि हमें छूटी हुई नमाज़ की क़ज़ा पढ़ने का मौका मिलता है।
अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है और आप जानना चाहते हैं कि क़ज़ा नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है, ऐसे में आपको चिंता करने की जरुरत नहीं है यह आर्टिकल आपके लिए है।
यहां हम आपको 5 वक्त की क़ज़ा नमाज़ का सही तरीक़ा, नियत और तमाम अहकाम आसान लफ़्ज़ों में बताएंगे। पढ़ने के बाद इंशाअल्लाह आपको कहीं और तलाश करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
Qaza Namaz Ka Tarika – बुनियादी तरीका
जिस वक्त की नमाज़ छूटी हो, उसी की फर्ज़ रकात की क़ज़ा अदा की जाएगी।
- अगर फ़ज्र की नमाज़ छूट गई हो तो 2 रकात फर्ज़ की क़ज़ा पढ़ें।
- जुहर की 4, असर की 4, मगरिब की 3 और इशा की 4 रकात फर्ज़ की क़ज़ा होगी।
- बस नियत में “क़ज़ा” का इरादा करेंगे, बाक़ी तरीक़ा बिल्कुल वैसे ही है जैसा असल नमाज़ का होता है।
Qaza Namaz Ka Tarika Step by Step
पहली रकात
- नियत करें जिस वक्त का कजा हो।
- अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बाँध लें।
- सना सुब्हानकल्लाहुम्मा… पढ़ें।
- अऊज़ु बिल्लाह और बिस्मिल्लाह पढ़ें।
- सूरह फातिहा पढ़ें और आख़िर में आमीन कहें।
- फिर कोई भी सूरह क़ुरान की छोटी सूरत पढ़ें।
- रुकूअ करें और 3 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
- सज्दा करें और 3 बार सुब्हान रब्बियल अ’ला पढ़ें।
- फिर दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
दूसरी रकात
- वही तिलावत सूरह फातिहा + कोई सूरह और रुकूअ, सज्दा करें।
- अत्तहिय्यात पढ़ते हुए उंगली से इशारा करें।
- और इल्लाहा पर उंगली गिरा कर सीधी कर लेंगे।
- अब दुरूद शरीफ में दुरूदे इब्राहिम को पढ़ें।
- इसके बाद दुआए मासुरह को पढ़ेंगे।
- फिर दाईं और बाईं तरफ सलाम फेरें।
अगर 3 या 4 रकात की क़ज़ा हो तो दूसरी रकात के तशह्हुद के बाद खड़े हो जाएं और नमाज़ मुकम्मल करें।
तीसरी और चौथी रकात
- सिर्फ सूरह फातिहा पढ़ें।
- यहां छोटी सूरह पढ़ना भी जायज़ है।
- बाक़ी रुकूअ, सज्दा और तशह्हुद का तरीका वही है।
- चौथी रकात पूरी करने के बाद दुरूद, दुआ और सलाम फेरें।
उम्र भर की छूटी नमाज़ों की क़ज़ा
अगर किसी की उम्र भर की नमाज़ें क़ज़ा हों तो:
- तीसरी और चौथी रकात में सिर्फ सुब्हान अल्लाह तीन बार कहकर रुकूअ और सज्दा कर सकते हैं।
- एक बार रूकुअ और सज्दे में “सुब्हान रब्बियल अज़ीम” और “सुब्हान रब्बियल अ’ला” पढ़ना काफ़ी है।
- वित्र की नमाज़ में क़ज़ा करते हुए दुआए कुनूत की जगह 1 या 3 बार “रब्बिग़फिरली” पढ़ना भी जायज़ है।
हर नमाज़ की क़ज़ा की नियत
फ़ज्र: नियत की मैने 2 रकात नमाज कजा के फज्र फर्ज की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
ज़ुहर: नियत की मैने 4 रकात नमाज कजा के जोहर फर्ज की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
असर: नियत की मैने 4 रकात नमाज कजा के असर फर्ज की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
मगरिब: नियत की मैने 3 रकात नमाज कजा के मगरिब फर्ज की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
इशा: नियत की मैने 4 रकात नमाज कजा के इशा फर्ज की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
वित्र: नियत की मैने 3 रकात नमाज कजा के वित्र वाजिब की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।
क़ज़ा नमाज़ से जुड़ी अहम् बातें
- क़ज़ा नमाज़ हमेशा छुपकर पढ़ें।
- मकरूह़ वक्त के अलावा किसी भी समय पढ़ी जा सकती है।
- वित्र की क़ज़ा में दुआए कुनूत बिना हाथ उठाए पढ़ें।
आख़िरी बातें
अब आपने आसानी से समझ लिया कि क़ज़ा नमाज़ का सही तरीक़ा क्या है। कोशिश करें कि फर्ज़ नमाज़ें वक्त पर अदा हों लेकिन अगर कभी छूट भी जाए तो क़ज़ा ज़रूर अदा करें।
अगर इस आर्टिकल में कोई बात छूट गई हो या आपको कोई सवाल हो तो नीचे कॉमेंट करें। इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि हर मुसलमान सही तरीक़े से अपनी छूटी नमाज़ें अदा कर सके।