अल्लाह तआला ने कुरआन में फरमाया कि जो पैदा हुआ है उसे एक दिन दुनिया से रुख़्सत होना है जब कोई मुसलमान इस दुनिया से चला जाता है तो उसके लिए सबसे आला तोहफ़ा नमाज़े जनाज़ा और मग़फिरत की दुआ है।
बहुत से लोग पूछते हैं जनाज़े की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है क्योंकि यह नमाज़ अक्सर हर किसी को पढ़ने का मौका नहीं मिलता इसलिए कई लोग सही तरीका नहीं जानते।
इस आर्टिकल में हम आपको जनाज़े की नमाज़ पढ़ने का पूरा तरीका, नीयत, सना, दुरूद और दुआ आसान स्टेप्स में बताएंगे। इंशाल्लाह पढ़ने के बाद आप आसानी से नमाज़े जनाज़ा अदा कर पाएंगे।
🕌 जनाज़े की नमाज़ क्या है?
जनाज़े की नमाज़ फर्ज़े किफ़ाया है। यानी अगर कुछ लोग पढ़ लें तो बाक़ी सब बरी हो जाते हैं। लेकिन अगर किसी ने भी नहीं पढ़ी तो जितने लोगों तक जनाज़े की खबर पहुँची, सब गुनहगार होंगे।
यह नमाज़ सिर्फ खड़े-खड़े अदा की जाती है। इसमें रुकू, सज्दा और सूरह फातिहा नहीं होती। इसे अदा करने का सही और मुकम्मल तरीका आइये जानते हैं।
जनाज़े की नमाज़ में क्या-क्या फर्ज़ है?
- कयाम नमाज़ खड़े होकर अदा करना।
- चार बार तकबीर अल्लाहु अकबर कहना।
जनाज़े की नमाज़ की सुन्नतें
- सना पढ़ना
- दरूद शरीफ़ दरूदे इब्राहीम पढ़ना
- मय्यित के लिए दुआ करना
🕋 Janaze Ki Namaz Ka Tarika
1. तैयारी करें
- सबसे पहले वुज़ू करें।
- जनाज़ा सामने रखकर इमाम खड़े हों।
- इमाम के पीछे लोग सफ़ में खड़े हों।
- सफ़ की तादाद 1, 3, 5, 7 हो तो अफ़ज़ल है।
2. नीयत
नियत की मैंने नमाजे जनाजा कि फर्जे किफाया चार तकबीरो के साथ वास्ते अल्लाह तआला के दूरूद मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुआ इस मय्यित के लिए पीछे इस इमाम के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अगर ज़बान से नीयत न कर पाएं तो दिल में इरादा करना काफ़ी है।
3. पहली तकबीर और सना
- इमाम के साथ पहली तकबीर अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कानों तक उठाएं और फिर नाफ़ के नीचे बाँध लें।
- अब सना पढ़ें: सुब्हान क अल्लाहुम्मा व बिहमदिका व तबार कस्मुका व तआला जद्दु क व जल्ला सनाउका व ला इल्लाहा गैरू क।
4. दूसरी तकबीर और दुरूद
- इमाम दूसरी बार अल्लाहु अकबर कहेंगे। आप भी कहें हाथ नहीं उठाना है।
- अब दरूदे इब्राहीम पढ़ें: अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना मुहम्मदिंव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला सय्यिदिना इब्राहीमा व अला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा इन्नका हमीदुम मजीद.
अल्लाहुम्मा बारिक अला सय्यिदिना मुहम्मदिंव व अला आलि सय्यिदिना मुहम्मदिन कमा बारकता अला सय्यिदिना इब्राहिमा व अला आलि सय्यिदिना इब्राहिमा इन्नका हमीदुम मजीद.
5. तीसरी तकबीर और दुआ
- इमाम तीसरी बार अल्लाहु अकबर कहेंगे। आप भी कहें और फिर दुआ पढ़ें।
बड़ों के लिए दुआ
“अल्लाहुम्मा मगफिरलि हैयिना व मैयितिना व शाहिदिना व गाइबिना सगीरिना व कबीरिना व ज क रिना व उनसाना अल्लाहुम्मा मन अहयैतहू मिन्ना फअह् यही अलल इस्लामी व मन तवफ्फैतहू मिन्ना फतवफ्फहू अलल ईमान।”
नाबालिग लड़के का जनाज़ा हो तो:
“अल्लाहुम्मज्अल्हु लना फरतौं वज्अल्हुलना अज्रौं व जख्रौं वज्अल्हु लना शाफिऔं व मुशफ्फआ।”
अगर नाबालिग लड़की का जनाज़ा हो तो:
“अल्लाहुम्मजअल्हा लना फरतौं वजअल्हा लना अज्रौं व जुख्रौं वजअल्हा लना शा फिअतौं व मुशफ्फअत।”
6. चौथी तकबीर और सलाम
- चौथी बार अल्लाहु अकबर कहें।
- अब दाईं तरफ और फिर बाईं तरफ सलाम फेरें:
- अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
इसी के साथ आपकी जनाज़े की नमाज़ मुकम्मल हो जाएगी।
⚡ ज़रूरी बातें
- दूसरी, तीसरी और चौथी तकबीर में हाथ नहीं उठाए जाते।
- हाथ हमेशा बाँधकर रखे जाते हैं।
- जनाज़े की नमाज़ में सिर्फ खड़े होकर इबादत की जाती है।
🌟 जनाज़े की नमाज़ की फ़ज़ीलत
हदीसों में जनाज़े की नमाज़ की बड़ी फ़ज़ीलत आई है:
- हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया:
“जो शख़्स सिर्फ जनाज़े की नमाज़ पढ़े, उसके लिए एक कीरात सवाब है। और जो तदफीन तक साथ रहे, उसके लिए दो कीरात सवाब है।”
सहाबा ने पूछा: दो कीरात क्या है? तो फ़रमाया: “दो बड़े पहाड़ों के बराबर।” - हज़रत अबु बक्र सिद्दीक़ रज़ि. ने एक दिन रोज़ा रखा, गरीब को खाना खिलाया, मरीज़ की इयादत की और जनाज़े में शरीक हुए। इस पर हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया:
“जो यह सब काम करे, वह जन्नत में दाख़िल होगा।”
आख़िरी बातें
अब आप जनाज़े की नमाज़ का सही तरीका जान गए हैं। कोशिश करें कि जब भी मौका मिले, इस फ़र्ज़े किफाया में ज़रूर शरीक हों। और मय्यित के लिए मग़फिरत की दुआ करें।
अगर आपको आर्टिकल में कहीं कोई कमी या गलती लगे, तो हमें कमेंट में बताएँ ताकि हम इसे सुधार सकें। अल्लाह तआला हम सबको सही समझ और अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।