जुम्मा का दिन मुस्लिम उम्मत के लिए रहमत और बरकतों का दिन है। इस दिन की नमाज़ की फ़ज़ीलत कुरान और हदीस में बहुत बार बयान की गई है। लेकिन बहुत से ऐसे हैं जिन्हें जुम्मा की नमाज़ का सही तरीका मालूम नहीं होता।
अगर आप भी सोचते हैं कि जुम्मा की नमाज़ कैसे पढ़ें? और इसमें कितनी रकात होती है? सुन्नत, फ़र्ज़ और नफ़्ल में क्या फर्क है? – तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
यहां हम आपको जुम्मा की नमाज़ का सही तरीका बहुत आसान भाषा में बताएंगे। इंशाअल्लाह, इसे पढ़ने के बाद आपको कभी भी कहीं और तलाश करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
जुम्मा की नमाज़ की कुल रकातें
जुम्मा की नमाज़ में सुन्नत, फर्ज़ और नफ़्ल को मिलाकर कुल 14 रकातें होती हैं।
सबसे पहले: 2 रकात दाख़िल मस्जिद की
फिर: 4 रकात सुन्नत
उसके बाद: 2 रकात फ़र्ज़ जमात के साथ
फिर: 4 रकात सुन्नत
उसके बाद: 2 रकात सुन्नत
और आखिर में: 2 रकात नफ़्ल
अगर आप सुन्नी हैं तो 2 रकात दाख़िल मस्जिद की नमाज़ भी पढ़ेंगे जिसे मिलाकर कुल 16 रकात हो जाएंगी।
दाख़िल मस्जिद की 2 रकात नमाज़ का तरीका
जुम्मे के दिन मस्जिद में दाखिल होते ही सबसे पहले 2 रकात दाख़िल मस्जिद की नमाज़ पढ़ना सुन्नत है।
पहली रकात
- नियत करें और हांथ बांध लें।
- नीचे सबकी नियत भी है देख लें।
- सना सुब्हानक अल्लाहुम्मा पूरा पढ़ें।
- अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम और बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़ें।
- सूरह फातिहा + कोई भी सूरह पढ़ें।
- रुकूअ, सज्दा उसी तरह करें जैसे रोज़ की नमाज़ में करते हैं।
दूसरी रकात
- अउजुबिल्लाह… और बिस्मिल्लाह… पढ़कर।
- फिर से सूरह फातिहा + कोई भी सूरह पढ़ें।
- रुकूअ और सज्दा करने के बाद बैठ जाएं।
- अत्तहियात, दुरूदे इब्राहीम और दुआए मासूरा पढ़ें।
- आखिर में सलाम फेरें।
जुम्मा की 2 रकात फ़र्ज़ जमात के साथ
इसे सिर्फ इमाम के पीछे अदा किया जाता है।
पहली रकात
- नियत बांधें:
- इमाम के पीछे चुपचाप खड़े रहें।
- इमाम सूरह फातिहा और सूरह पढ़ेंगे, आप सुनें।
- रुकूअ और सज्दा में शामिल हों।
दूसरी रकात
- पहले जैसी ही प्रक्रिया दोहराएं।
- आखिर में बैठकर अत्तहियात, दुरूद और दुआ ए मासुरा पढ़ें।
- अब साथ में सलाम फेरें।
जुम्मा की सुन्नत और नफ़्ल नमाज़
फर्ज़ के बाद अलग-अलग रकात सुन्नत और नफ़्ल अदा की जाती हैं:
- 4 रकात सुन्नत – फर्ज़ के बाद।
- 2 रकात सुन्नत – उसके बाद।
- 2 रकात नफ़्ल – सबसे आखिर में।
इन सबका तरीका वही है जैसा ऊपर बताया गया है, फर्क सिर्फ नियत का होगा।
जुम्मा की नमाज़ की नियतें
दाख़िल मस्जिद की 2 रकात
नियत की मैंने 2 रकात दाख़िल मस्जिद की सुन्नत, अल्लाह तआला के लिए, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जुम्मा की 4 रकात सुन्नत
नियत की मैंने 4 रकात जुम्मा की सुन्नत, अल्लाह तआला के लिए, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जुम्मा की 2 रकात फर्ज़
नियत की मैंने 2 रकात जुम्मा की फ़र्ज़, इमाम के पीछे, अल्लाह तआला के लिए, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
बाद जुम्मा 4 रकात सुन्नत
नियत की मैंने 4 रकात बाद जुम्मा की सुन्नत, अल्लाह तआला के लिए, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जुम्मा की 2 रकात सुन्नत
नियत की मैंने 2 रकात जुम्मा की सुन्नत, अल्लाह तआला के लिए, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जुम्मा की 2 रकात नफ़्ल
नियत की मैंने 2 रकात जुम्मा की नफ़्ल, अल्लाह तआला के लिए, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।
जुम्मा की नमाज़ का पूरा शेड्यूल
- 2 रकात दाख़िल मस्जिद की सुन्नत
- 4 रकात सुन्नत
- 2 रकात फर्ज़ जमात के साथ
- 4 रकात सुन्नत
- 2 रकात सुन्नत
- 2 रकात नफ़्ल
FAQs – जुम्मा की नमाज़ से जुड़े सवाल
जुम्मा की नमाज़ कितनी रकात होती है?
जुम्मा की नमाज़ में सुन्नत, फर्ज़ और नफ़्ल मिलाकर कुल 14 रकात होती हैं। सुन्नी भाई-बहनों के लिए 2 रकात दाख़िल मस्जिद की भी मिलाकर 16 रकातें होती हैं।
जुम्मा की फर्ज़ नमाज़ अकेले पढ़ सकते हैं?
नहीं, जुम्मा की 2 रकात फर्ज़ सिर्फ इमाम के पीछे जमात के साथ ही अदा की जाती है।
अगर कोई जुम्मा की नमाज़ मिस कर दे तो क्या करना चाहिए?
अगर जुम्मा की नमाज़ मिस हो जाए तो उसके बदले ज़ुहर की 4 रकात फर्ज़ अदा की जाती है।
जुम्मा के दिन और कौन-सी अमल की अहमियत है?
ग़ुस्ल करना, साफ कपड़े पहनना, दरूद शरीफ़ की कस्रत करना, दुआ करना और सूरह अल-कहफ़ की तिलावत करना।
अंतिम बात
मेरे प्यारे मोमिन भाइयों, अब आपने आसानी से समझ लिया कि जुम्मा की नमाज़ का सही तरीका क्या है। जुम्मे का दिन इबादत और दुआओं का खास दिन है।
कोशिश करें कि इस दिन ग़ुस्ल, तिलावत-ए-कुरान, दरूद शरीफ़ और दुआओं का ज्यादा से ज्यादा एहतिमाम करें। अल्लाह हम सबकी नमाज़ें कबूल फरमाए। आमीन।
अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर करें ताकि वो भी जुम्मा की नमाज़ सही तरीके से अदा कर सकें।