Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat – सलातुल तस्बीह की नमाज़ की नीयत

अल्लाह तआला की याद में लिप्त होना हर मोमिन का फ़र्ज़ है, और सलातुल तस्बीह की नमाज़ इसका एक बेहद खूबसूरत और बरकतों से भरा ज़रिया है।

अगर आप भी सोच रहे हैं कि Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat क्या है या सलातुल तस्बीह की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी में कैसे पढ़ी जाती है? तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं।

इस आर्टिकल में हम आपको सलातुल तस्बीह की नीयत हिंदी और अरबी दोनों में, उसका पूरा तरीका और नीयत बांधने के सही स्टेप्स आसान अंदाज़ में बताएंगे।


Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat

सलातुल तस्बीह एक नफ़्ल नमाज़ है जो चार रकात की नियत से अदा की जाती है। यानि आप इस नमाज़ को मुकम्मल करने के लिए एक बार में 4 रकात की नियत करेंगे इस तरह:

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat in Hindi

नियत की मैंने 4 रकअत सलातुल तस्बीह की नफ़्ल नमाज़ अल्लाह तआला के लिए, काबा शरीफ़ की तरफ रुख करके – अल्लाहु अकबर।

Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat in Arabic

نَوَيْتُ أَنْ أُصَلِّيَ لِلّٰهِ تَعَالٰى رَكَعَاتِ صَلٰوةِ النَّفْلِ مُتَوَجِّهًا اِلٰى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيْفَةِ اَللّٰهُ أَكْبَرُ

Navaitu-an usalliya lillahi ta’ala raka’ati salati nafli mutawajjihan ila jihatil ka’batish sharifati – Allahu Akbar


Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat Ka Tarika

क़िब्ला की तरफ़ रुख करें

सबसे पहले आप किब्ला की तरफ मुंह करके सीधे खड़े हो जाएं।

नीयत करें

ऊपर दिए गए लफ़्ज़ से ज़ुबान से नीयत करें। अगर आप ज़ुबान से नीयत नहीं कर सकते तो दिल में नीयत करना भी पूरी तरह सही है बस यह इरादा कर लें कि आप सलातुल तस्बीह की नमाज़ अदा कर रहे हैं।

तकबीर कहें

नीयत के बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथों को कानों तक उठाएं और कान की लौ को हल्के से छूएं, फिर हाथ नीचे करें लेकिन हमारी मां बहने कांधे तक ही हांथ को उठाएंगी।


सलातुल तस्बीह की नमाज़ की नियत कैसे बांधे?

औरतों के लिए:

हाथों को सीने पर बांधें।

मर्दों के लिए:

हाथों को नाफ़ के नीचे बांधें।

हाथ बांधने का तरीका:

  • पहले बायां हाथ नीचे रखें।
  • उसके ऊपर दाहिनी हथेली रखें।
  • दाहिने हाथ की तीन उंगलियों से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ें।
  • बाकी उंगलियां नीचे की हथेली पर रखें।

इस तरह नीयत बांधने का अमल मुकम्मल हो जाता है।


Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Ahmiyat

सलातुल तस्बीह की नमाज़ सिर्फ एक इबादत नहीं, बल्कि गुनाहों की माफी का ज़रिया है।

हदीसों में आता है कि इस नमाज़ को पढ़ने से इंसान के छोटे-बड़े तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं।

इसलिए इस नफ़्ल नमाज़ को समय-समय पर ज़रूर पढ़ना चाहिए, खासकर मुबारक रातों में।


अंतिम लफ़्ज़

अब आपने Salatul Tasbeeh Ki Namaz Ki Niyat और इसका पूरा तरीका और हाथ बांधने का सही तरीका सीख लिया है। हमने इस आर्टिकल को आसान और साफ़ लफ़्ज़ों में तैयार किया है ताकि हर कोई इसे समझ सके।

अगर पढ़ने के बाद भी कोई बात समझ न आए या कोई सवाल हो तो नीचे कमेंट में ज़रूर पूछें। और हां, इस जानकारी को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ज़रूर शेयर करें ताकि सब इस नेक अमल में शामिल हो सकें।