Shab E Meraj Ki Namaz Ki Niyat | शब ए मेराज की नमाज़ की नियत

इस्लाम की मुबारक रातों में से एक है शब ए मेराज वो मुबारक रात जब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को आसमानों की सैर कराई गई और उन्हें नमाज़ का तोहफ़ा मिला।

इस रात इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है, और इसी वजह से दुनिया भर के मुसलमान इस रात को इबादत, नफ़्ल नमाज़ और दुआओं में गुज़ारते हैं।

अगर आप भी इस मुबारक रात में नफ़्ल नमाज़ अदा करना चाहते हैं लेकिन नियत का सही तरीका नहीं जानते — तो घबराइए नहीं।

यहां हम आपको शब ए मेराज की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी दोनों में, आसान लफ़्ज़ों में बता रहे हैं। इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपको कहीं और तलाश करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

Shab E Meraj Ki Namaz Ki Niyat

शब ए मेराज की रात में नमाज़ 2-2 रकात की नियत से अदा की जाती है। आप 2 रकात की नियत से 8 रकात, 12 रकात या जितनी चाहें उतनी नमाज़ अदा कर सकते हैं। हर दो रकात के लिए नियत इसी तरह होगी।

शब ए मेराज की नमाज़ की हिंदी नियत

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ शब ए मेराज की नफ़्ल वास्ते अल्लाह तआला के, रूख मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर।

शब ए मेराज की नमाज़ की अरबी नियत

نَوَيْتُ أَنْ أُصَلِّيَ لِلّٰهِ تَعَالٰى رَكْعَتَيْ صَلٰوةِ النَّفْلِ مُتَوَجِّهًا إِلٰى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيفَةِ اللّٰهُ أَكْبَرُ

Nawaitu-an Usalliya Lillahi Ta‘ala Rak‘atay Salaati-Nafli Mutawajjihan ila Jihatil Ka‘batish Shareefati Allahu Akbar

Shab E Meraj Ki Namaz Ki Niyat Kaise Kare

  • सबसे पहले मक्का शरीफ की दिशा क़िब्ला की तरफ रूख करके खड़े हो जाएं।
  • नियत ज़ुबान से पढ़ सकते हैं, और अगर न पढ़ें तो दिल में इरादा कर लें।
  • कि आप शब ए मेराज की नफ़्ल नमाज़ अल्लाह की रज़ा और अपनी मुराद के लिए अदा कर रहे हैं।
  • नियत के बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए हाथों को कानों तक उठाएं और फिर नीचे लाएं।
  • लेकिन हमारी माँ बहने अपने हांथों को सिर्फ कांधे तक ही उठाएंगे।

नियत बांधने का तरीका

  • औरतें: नियत पढ़ने के बाद हाथों को सीने पर बांधें।
  • मर्द: बायां हाथ नाफ़ के नीचे रखें, दायां हाथ उसके ऊपर।
  • तीन उंगलियां ऊपर रहनी चाहिए।
  • दाहिने हाथ की उंगलियों से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ें।

आख़िरी लफ्ज़

अब तक आप ने शब ए मेराज की नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी दोनों में सीख ली होगी, साथ ही इसे करने का तरीका भी समझ गए होंगे।

ध्यान रहे इस नियत में “नफ़्ल” का लफ़्ज़ इसलिए बोला जाता है क्योंकि यह नफ़्ल नमाज़ होती है, जो इस खास रात में अदा की जाती है।

अगर किसी जगह समझने में दिक्कत हो तो आप नीचे कॉमेंट करके सवाल ज़रूर पूछ सकते हैं। सीखने से बेहतर है इस इल्म पर अमल करना और इसे आगे फैलाना।