Shukrana Namaz Ki Niyat: शुक्राना नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी में

जब भी अल्लाह तआला हमें नेमतें अता फरमाते हैं तो एक सच्चे मोमिन का फर्ज़ है कि वह अपने रब का शुक्र अदा करे। शुक्र अदा करने का सबसे बेहतरीन तरीका शुक्राना की नमाज़ है।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Shukrana Namaz Ki Niyat हिंदी और अरबी में कैसे की जाती है, और इसका सही तरीका क्या है।

तो यह आर्टिकल आपके लिए है। यहां आपको पूरी जानकारी आसान लफ़्ज़ों में मिलेगी जिससे आपको कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।


Shukrana Namaz Ki Niyat

शुक्राना की नमाज़ 2 रकात नफ़्ल की नियत से अदा की जाती है। यह नमाज़ एक ही सलाम में मुकम्मल की जाती है।


शुक्राना नमाज़ की हिंदी नियत

नियत की मैंने 2 रकअत नमाजे नफ़्ल बरा-ए-शुक्र की वास्ते अल्लाह तआला के लिए, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ, अल्लाहु अकबर।

Niyat Ki Maine 2 Rakat Namaz-E-Nafl Bara-E-Shukr Ki Waaste Allah Ta’ala Ke Liye, Munh Mera Kaaba Shareef Ki Taraf, Allahu Akbar.


शुक्राना नमाज़ की अरबी नियत

نويت أن أصلي لله تعالى ركعتين صلاة نفل متوجهاً إلى جهة الكعبة الشريفة الله أكبر

नवैतु अन उसल्लिया लिल्लाहि तआला रकअतै सलाति नफ़्ली मुतवज्जिहन इला जिहातिल काबतिश शरीफति अल्लाहु अकबर


Shukrana Namaz Ki Niyat Ka Tarika

अब जान लीजिए नियत और नमाज़ शुरू करने का तरीका:

  1. सबसे पहले मक्का काबा शरीफ़ की तरफ रुख करके खड़े हो जाएं।
  2. नियत ज़बान से पढ़ लें, वरना दिल में इरादा कर लेना भी काफी है कि:
  3. यह नमाज़ मैंने अपने रब का शुक्र अदा करने के लिए अदा की।
  4. नियत करने के बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए दोनों हाथ उठाएं।

नियत बांधने का तरीका

  • मर्द:
    • हाथ कान तक उठाएं और कान की लोब को छुएं।
    • फिर हाथों को नाफ़ के नीचे बांध लें।
    • बायां हाथ अंदर, दायां हाथ ऊपर।
    • दाएं हाथ की तीन उंगलियां कलाई पर।
    • और अंगूठा व छोटी उंगली से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ लें।
  • औरतें:
    • हाथ सिर्फ कंधों तक उठाएं।
    • फिर हाथों को सीने पर बांध लें।

यहीं से आपकी नमाज़ की शुरुआत हो जाती है।


अंतिम बात

अब तक तो आप भी अच्छे से समझ गए होंगे कि शुक्राना नमाज़ की नियत हिंदी और अरबी में कैसे की जाती है और इसका तरीका क्या है।

अगर इस लेख को पढ़ने के बाद भी आपके मन में कोई सवाल रह जाए, तो आप हमें कॉमेंट करके पूछ सकते हैं। अल्लाह तआला हम सबकी नमाज़ें और दुआएं क़बूल फरमाए।