Tahajjud Ki Namaz Ki Niyat: तहज्जुद की नमाज़ की नीयत कैसे करें?

तहज्जुद की नमाज़ ऐसी इबादत है जो अल्लाह के सबसे करीब ले जाती है। यह वह नमाज़ है जिसे रात के सुकून भरे लम्हों में अदा किया जाता है, जब पूरी दुनिया सो रही होती है।

इस वक्त उठकर अपने रब के सामने सज्दा करने वालों को अल्लाह अपनी खास रहमतों और बरकतों से नवाज़ता है। आज हम यहां आपको तहज्जुद की नमाज़ की नीयत हिंदी और अरबी में बताने जा रहे हैं।

साथ ही आप सीखेंगे कि तहज्जुद की नीयत कैसे करनी है और किस तरह बांधनी है। इस आर्टिकल को आखिर तक ज़रूर पढ़ें, इंशा-अल्लाह इसके बाद आपको कहीं और तलाश करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।


तहज्जुद की नीयत हिंदी में

नियत की मैंने 2 रकअत नमाज़ तहज्जुद की नफ़्ल की वास्ते अल्लाह तआला के, मेरा रूख काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहू अकबर।

तहज्जुद की नीयत अरबी में

نويت أن أصلي لله تعالى ركعتين صلاة النفل متوجها إلى جهة الكعبة الشريفة، الله أكبر

Nawaitu an usalliya lillahi ta‘ala rak‘ati salati nafli mutawajjihan ila jihatil-ka‘batish-sharifah, Allahu Akbar


तहज्जुद की नमाज़ की नीयत कैसे करें?

सबसे पहले मक्का शरीफ़ काबा की तरफ रूख करके खड़े हो जाएं। नियत अल्फ़ाज़ से पढ़ सकते हैं, लेकिन अगर ज़बान से न पढ़ें तो दिल में इरादा करना भी काफी है।

नीयत यही हो: मैं तहज्जुद की नमाज़ अल्लाह की रज़ा और अपनी दुआओं की कबूलियत के लिए पढ़ रहा/रही हूं। नीयत के बाद अल्लाहू अकबर कहकर हाथ उठाएं और नमाज़ शुरू करें।


तहज्जुद की नीयत कैसे बांधें?

नीयत पढ़ने के बाद “अल्लाहू अकबर” कहकर हाथों को कानों तक उठाएं। फिर हाथों को नीचे लाकर इस तरह बांधें: औरतें सीने पर हाथ बांधें और पुरुष नाफ़ पर हाथ बांधें।

तरीका यह है कि पहले बायां हाथ नीचे रखें। उसके ऊपर दायां हाथ रखें। दाहिने हाथ की 3 उंगलियां ऊपर रहें और बचे हुए से बाएं हाथ की कलाई को पकड़ लें।


तहज्जुद की नमाज़ क्यों नफ़्ल कहलाती है?

आपने गौर किया होगा कि तहज्जुद की नीयत में “नफ़्ल” कहा जाता है। दरअसल तहज्जुद फ़र्ज़ या वाजिब नहीं, बल्कि नफ़्ल नमाज़ है। इसकी खासियत यह है कि इसका वक्त और अंदाज़ इसे सबसे मुकम्मल और खास बनाता है।


आख़िरी बातें

प्यारे मोमिनों! अब आप जान गए कि तहज्जुद की नमाज़ की नीयत हिंदी और अरबी में कैसे करनी है और इसका सही तरीका क्या है।

अब आपके लिए आसान है कि आप दोनों में से किसी भी भाषा में नियत पढ़कर इस खूबसूरत इबादत की शुरुआत करें। याद रखें, तहज्जुद अल्लाह की खास रहमतों को पाने का जरिया है।

इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएं और जितना हो सके दूसरों तक भी यह इल्म पहुंचाएं। क्योंकि इल्म बांटने से सवाब बढ़ता है और आख़िरत की कामयाबी भी मिलती है।