Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat: तहज्जुद की नमाज़ कितनी रकात होती है?

तहज्जुद की नमाज़ रात की सबसे बरकतों भरी इबादत है। यह वह नमाज़ है जो अल्लाह के सबसे करीब ले जाती है। क़ुरआन में अल्लाह तआला ने भी फरमाया कि जो बंदा रात के सन्नाटे में उठकर सजदा करता है।

वह उन खास लोगों में से है जिन्हें अल्लाह की रहमत हासिल होती है। लेकिन कई लोगों का सवाल है की तहज्जुद की नमाज़ कितनी रकात पढ़ना चाहिए?

अगर आप भी इसका जवाब जानना चाहते हैं तो बिल्कुल सही जगह पर क्लिक करके पहुचें हैं यहाँ पर आपको तहज्जुद की नमाज़ की रकात मालूम हो जाएगी।


Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat

तहज्जुद की नमाज़ कम से कम 2 रकात होती है। आप 2-2 रकात करके 4, 6, 8 या 12 रकात तक नमाज़ अदा कर सकते हैं असल तरीका यह है कि हर बार 2 रकात की नियत से नमाज़ पढ़ी जाए।

अगर आप चाहें तो 8 रकात तक या उससे ज़्यादा भी अदा कर सकते हैं क्योंकि यह एक नफ़्ल नमाज़ है और नफ़्ल नमाज़ की रकात में कोई लिमिट तय नहीं की गई है।


हदीस में तहज्जुद की रकात का ज़िक्र

एक हदीस शरीफ़ में हज़रत मुहम्मद ﷺ से 8 रकात तहज्जुद तक पढ़ने का ज़िक्र मिलता है। यानी 2-2 रकात करके चार सलामों में आठ रकात पूरी करना सुन्नत के मुताबिक़ है।

यह नमाज़ खैर, बरकत और हाजत पूरी करने वाली इबादत है। रात के सन्नाटे में उठकर अल्लाह से मांगी गई हर दुआ इंशा’अल्लाह ज़रूर कबूल होती है।


तहज्जुद की नमाज़ पर एक प्यारी हदीस

रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:

“जो शख्स रात में उठे और अपने घरवालों को भी जगाए,
फिर दोनों 2-2 रकात तहज्जुद की नमाज़ पढ़ें,
तो वह अल्लाह के उन बंदों में लिखा जाएगा जो कसरत से अल्लाह का ज़िक्र करने वाले हैं।”

रिवायत: नसई, इब्न माजा, इब्न हब्बान, हाकिम

यह हदीस बताती है कि तहज्जुद सिर्फ नमाज़ नहीं बल्कि अल्लाह से मोहब्बत जताने का सबसे प्यारा ज़रिया है।


तहज्जुद की नमाज़ कब और कैसे पढ़ी जाती है?

  • तहज्जुद की नमाज़ ईशा के बाद सोकर उठने के बाद अदा की जाती है।
  • बिना सोए इसे पढ़ना तहज्जुद नहीं, सिर्फ नफ़्ल नमाज़ मानी जाएगी।
  • इसका सबसे अफ़ज़ल वक़्त रात का आख़िरी हिस्सा सहर का वक्त है।
  • इस समय अल्लाह तआला अपनी रहमत के साथ आसमान-ए-दुनिया पर उतरते हैं।
  • और फरमाते हैं: “कौन है जो मुझसे कुछ मांगे ताकि मैं उसे दूं।”

Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat Kitni Hoti Hai?

जैसा कि ऊपर बताया गया, तहज्जुद की नमाज़ की रकात की कोई फिक्स संख्या नहीं है। लेकिन हदीसों के मुताबिक़ 8 रकात पढ़ना सबसे बेहतर है।

आप चाहें तो 12 रकात या उससे ज़्यादा भी अदा कर सकते हैं। हर रकात आपके लिए रहमत, सुकून और मग़फ़िरत का ज़रिया बनेगी, इंशा’अल्लाह।


तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफ़्ल?

तहज्जुद की नमाज़ नफ़्ल नमाज़ है, लेकिन इसका दर्जा बाकी नफ़्ल नमाज़ों से कहीं ऊँचा है।

इसकी खासियत यह है कि यह नींद से उठकर पढ़ी जाती है, और यह अमल अल्लाह तआला के करीब लाने वाला है।


तहज्जुद की नमाज़ के फायदे

  • दिल को सुकून और रूहानी ताक़त मिलती है
  • दुआएं कबूल होने का बेहतरीन वक्त
  • गुनाहों की माफी का जरिया
  • अल्लाह के करीब होने का सबसे प्यारा तरीका
  • जिंदगी में बरकत और रहमत का दरवाज़ा खुल जाता है

FAQs

तहज्जुद की नमाज़ कितनी रकअत की होती है?

कम से कम 2 रकअत, और बेहतर है कि 8 रकअत 2-2 करके पढ़ी जाए।

तहज्जुद का वक़्त कब शुरू होता है?

ईशा की नमाज़ के बाद सोकर उठने के बाद से लेकर फज्र तक।

क्या बिना सोए तहज्जुद पढ़ सकते हैं?

नहीं, बिना सोए वह तहज्जुद नहीं बल्कि नफ़्ल नमाज़ कहलाती है।

तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफ़्ल?

यह नफ़्ल नमाज़ है लेकिन इसका दर्जा बाकी नफ़्लों से बहुत ऊँचा है।


आख़िरी बातें

अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि Tahajjud Ki Namaz Ki Rakat Kitni Hoti Hai, कब पढ़नी चाहिए और इसका सही तरीका क्या है।

तहज्जुद वह नमाज़ है जो बंदे को अल्लाह की रहमत के बेहद करीब ले जाती है। अगर आप इसे रोज़ाना अदा नहीं कर सकते, तो हफ्ते में कुछ बार ज़रूर कोशिश करें।