रमज़ान का महीना रहमतों और बरकतों से भरपूर होता है। इस मुबारक महीने में जो इबादत सबसे खास मानी जाती है, वो है तरावीह की नमाज़। हर मुसलमान चाहता है कि वो तरावीह सही तरीके से अदा करे ताकि अल्लाह तआला की रहमतें हासिल हो सकें।
अगर आप भी सोच रहे हैं कि तरावीह की नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है? कितनी रकात होती है? नियत क्या है? तो अब परेशान होने की ज़रूरत नहीं। यहां हम आपको तरावीह की नमाज़ का सही और आसान तरीका बताएंगे ताकि आप आराम से इसे अदा कर सकें।
तरावीह की नमाज़ क्यों पढ़ते हैं?
रमज़ान का महीना रहमतों और बरकतों से भरा होता है। इस मुबारक महीने में मुसलमान रोज़े रखते हैं और रात को तरावीह की नमाज़ अदा करते हैं।
तरावीह की नमाज़ एक सुन्नत-ए-मुअक्कदा है, यानी नबी-ए-करीम ﷺ ने इसे हमेशा अदा किया और उम्मत को भी इसकी तालीम दी।
यह ईशा की नमाज़ के बाद और वित्र से पहले पढ़ी जाती है। इसमें अक्सर पूरा कुरआन सुना जाता है और यही तरावीह की सबसे बड़ी फ़ज़ीलत है।
तरावीह की नमाज़ कितनी रकात होती है?
तरावीह की नमाज़ 20 रकात होती है। इसे 2-2 रकात करके 10 सलाम में अदा किया जाता है। हर 4 रकात पूरी करने के बाद तरावीह की तस्बीह पढ़ी जाती है।
तरावीह की दो तरहें
- बड़ी तरावीह – इसमें इमाम पूरे कुरआन की तिलावत करता है।
- छोटी तरावीह – इसमें सिर्फ 30वें पारे की आखिरी 10 सूरतें पढ़ी जाती हैं।
तरावीह की नमाज़ की नियत
नियत दिल से होती है, लेकिन ज़ुबान से पढ़ना भी जाइज है।
2 रकात के लिए
मैं नियत करता/करती हूँ 2 रकात नमाज़ तरावीह, सुन्नत-ए-मुअक्कदा, वक्त-ए-ईशा, वास्ते अल्लाह तआला, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ, पीछे इस इमाम के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ।
20 रकात के लिए
मैं नियत करता/करती हूँ 20 रकात नमाज़ तरावीह, सुन्नत-ए-मुअक्कदा, वक्त-ए-ईशा, वास्ते अल्लाह तआला, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ, पीछे इस इमाम के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ।
इसके बाद “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ नाफ के नीचे बांध लें और नमाज़ शुरू करें।
तरावीह की नमाज़ का तरीका Step by Step
- नियत करें और “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ बांधें।
- सना दुआ पढ़ें।
- अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम और बिस्मिल्लाह कहें।
- इमाम सूरह फातिहा और कुरआन की आयतें पढ़ेगा, आप ध्यान से सुनें।
- रुकू में जाएं और रुकू की तस्बीह पढ़ें।
- सज्दा करें और सज्दे की तस्बीह पढ़ें।
- दूसरी रकात भी इसी तरह पूरी करें।
- अब आपकी 2 रकात तरावीह पूरी हो गई।
- इसी तरह इमाम 20 रकात मुकम्मल करेगा।
- हर 4 रकात पूरी होने के बाद तरावीह की दुआ पढ़ी जाती है।
- आखिर में इमाम के साथ 3 रकात वित्र की नमाज़ अदा करें।
तरावीह की नमाज़ की दुआ
सुबहानाज़िलमुल्कि वलमलाकूति, सुब्हानज़िल इज्ज़ति वल अज्मति वल हैबति वल क़ुदरति वल किबरियाइ वल जबरूत, सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमूतु, सुब्बुहुन कुद्दुसून रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मीनन नारी या मुजीरू या मुजीरू या मुजीर।
तरावीह की नमाज़ सुन्नत है या नफ्ल?
- तरावीह सुन्नत-ए-मुअक्कदा है, न कि नफ्ल।
- यानी इसे पढ़ना बहुत अहम है लेकिन फर्ज़ नहीं।
- नबी ﷺ ने इसे हमेशा अदा किया और उम्मत को भी इसकी तालीम दी।
तरावीह की नमाज़ पढ़ने में कितना समय लगता है?
- अगर हर रात 1 पारा पढ़ा जाए तो लगभग 45 मिनट से 1 घंटा।
- कुछ जगहों पर पूरी नमाज़ 1.5 से 2 घंटे तक भी चलती है।
तरावीह की नमाज़ की फ़ज़ीलत
- हर सज्दे पर 1500 नेकी लिखी जाती है।
- हर सज्दे पर जन्नत में एक महल बनता है जिसमें 60,000 सोने-चाँदी के दरवाज़े होते हैं।
- हर सज्दे पर जन्नत में एक दरख़्त लगाया जाता है, जिसके नीचे घोड़ा 100 साल तक दौड़ सकता है।
- अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाता है – “रात की तरावीह और दिन के रोज़े रखने की वजह से मैंने अपने बंदों को माफ कर दिया।”
- तरावीह में कुरआन की तिलावत सुनने और समझने का मौका मिलता है।
तरावीह में पढ़ी जाने वाली 10 सूरतें
- सूरह फील
- सूरह कुरैश
- सूरह माऊन
- सूरह कौसर
- सूरह काफिरून
- सूरह नस्र
- सूरह लहब (तब्बत)
- सूरह इखलास
- सूरह फालक
- सूरह नास
आख़िरी बातें
अब आपको तरावीह की नमाज़ का सही तरीका मालूम हो गया। इसे अमल में लाएं और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ शेयर करें ताकि वो भी इस मुबारक अमल से फायदा उठा सकें।
अगर कहीं पर आपको कुछ गलती नज़र आए या कोई सवाल हो तो कॉमेंट करके बताएं। इंशाअल्लाह, अल्लाह तआला हमें हमारी कोशिशों का अज्र देगा।